फाटा/रुद्रप्रयाग : आठ साल से दहशत में ग्रामीण! शासन-प्रशासन मूकदर्शक बन, कर रहा अनहोनी का इंतजार?

                      2013 की भीषण आपदा से पूरी केदारघाटी को भारी जान माल का नुकसान उठाना पड़ा था हजारों लोगों को इस आपदा में अपनी जान गवानी पडी थी। केदारनाथ के साथ कई गाँव और बस्तियों में भी इस आपदा का भारी प्रभाव पढ़ा था कई आवासीय भवन ब्यावसायिक सम्पतियों, वन भूमी, खेतो का पूरी घाटी को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। लेकिन समय बीतता गया और आम जनजीवन उस भीषण आपदा के दंश को झेलकर धीरे धीरे इन आठ सालों में पटरी पर लौट कर विकास की मुख्य धारा में एक बार फिर से जुड़कर जीवन यापन करने लगा। और जहाँ भी भारी जख्म लगे थे वे सब भरने लगे या फिर भर रहे हैं। लेकिन आपदा के आठ साल बीत जाने के बाद भी एक गांव ऐसा है जिसके ग्रामीण अभी भी जरा सी बारिश होने पर भी दहशत से भर जाते है।


        जी हाँ हम बात कर रहे हैं रुद्रप्रयाग मुख्यालय से मात्र 55 कीमी की दूरी पर केदारनाथ यात्रा मार्ग के मुख्य पड़ावों में से एक फाटा कस्बे से एक कीमी पहले 'खाट' गांव की। अगर आप कभी केदारनाथ गए हों तो जरूर आपको भी इस स्थान पर कुछ न कुछ समस्या का सामना करना पड़ा होगा। अक्सर बिना बारिश के भी यहाँ पर जमीनी कटाव होता रहता है फिर बारिश के मौसम के तो क्या कहने। सुरक्षा के नाम पे बस मिट्टी में प्लास्टिक की बरसाती डाल भर देने से ही शासन प्रशासन अपना पल्ला जाड़ देते हैं।


             गाँव से लगभग 500 मीटर की दूरी पर मन्दाकिनी नदी बहती है जिसके द्वारा 2013 आपदा से गाँव के नीचे लगातार कटान किया गया और इस लगातार हो रहे कटाव से बहुमूल्य वन भूमि के साथ ग्रामीणों की गोशालाएं भी इस कटान से पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं और आगे भी खतरा यथावत बना है। इसी कटाव में एक प्राचीन मंदिर भी पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।


                ग्रामीणों का कहना है कि जमीनी कटाव लगातार जारी है जिस कारण कई आवासीय भवन इसकी जद में हैं जिनमे कटाव के निशान के तौर पर बड़ी बड़ी दरारे देखने को आम मिल रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में कई बार शासन प्रशासन को इसके बारे में लिखित और मौखिक रूप से अवगत कराया जा चुका है लेकिन अभी तक कोई ठोस इंतजाम सरकार की तरफ से नहीं किया गया है। इस कटाव के कारण ग्रामीण जरा सी बारिश में भी डर जाते हैं लेकिन सरकार के कानो में जूँ तक नहीं रेंग रही है।

              
बड़ी बात यह है की गांव के कई घर केदारनाथ राजमार्ग पे कटान क्षेत्र से मात्र 20 मीटर की दूरी पर स्थित हैं जिन पर शासन प्रशासन की नजर आते जाते पड़ ही जाती है लेकिन न तो शासन कोई सुध लेता है न प्रशासन। जबकि बरसात के मौसम में अकसर यहाँ पर चट्टान आने के कारण राजमार्ग बाधित रहता लेकिन शायद शासन प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना या अनहोनी के इंतजार में मूकदर्शक बने बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव से सडक तक पहुँचने जो फाटा की तरफ एक मात्र रास्ता था वो भी इस आपदा की भेंट चढ़ चुका था ग्रामीणों द्वारा श्रमदान कर यहाँ पर एक कच्चा रास्ता बनाया गया था लेकिन उसे NH द्वारा रोड़ काटने हेतु उसे तोड़ दिया गया और आपदा के आठ साल बाद भी उसे सही ढंग से बनाकर तैयार नहीं किया गया है जिस कारण जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरना पड़ता है। ग्रामीणों द्वारा चेतावानी दी गई कि यदि शीघ्र  समस्या से निजात अथवा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किये गए तो सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ेगा।
                                           - अंकित तिवारी 




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