लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपोजिटरी (डीडीआर) प्रदर्शनी का उद्घाटन
आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 जून 2022 को प्रतिष्ठित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी में डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपोजिटरी (डीडीआर) का उद्घाटन किया।
इस समारोह में लगभग 400 प्रशिक्षु अधिकारियों (ओटी) ने भाग लिया। इस समारोह में आयोजित कार्यक्रम इस प्रकार रहे- सरदार वल्लभभाई पटेल और श्री लाल बहादुर शास्त्री की आवक्ष प्रतिमाओं पर श्रद्धांजलि अर्पित करना, इंदिरा भवन (एलबीएसएनएए) में डिजिटल जिला रिपोजिटरी (डीडीआर) का मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटन, संपूर्णानंद सभागार में डीडीआर पर सेमीनार का आयोजन और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनजेडसीसी) द्वारा सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का आयोजन।
इस कार्यक्रम में प्रशिक्षु अधिकारियों को अपनी तैनाती वाले जिलों से सम्बंधित कहानियों का योगदान करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपोजिटरी (डीडीआर) जिले में 'सूक्ष्म स्तर' पर भारत की कहानियों को खोजने और उनका दस्तावेजीकरण करने का प्रयास है। इसे हमारे स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के अनुसार चार श्रेणियों (व्यक्ति और व्यक्तित्व, घटना और कार्यक्रम, जीवित परंपराएं और कलारूप, छिपे हुए खजाने) में बांटा गया है।
संस्कृति सचिव श्री गोविंद मोहन ने अपनी प्रस्तुति के दौरान कहा कि स्थानीय इतिहास अक्सर कहानियों, उपाख्यानों और लुप्त होती स्मृतियों के रूप में हमारे अंदर निवास करता है और जब हम उन्हें समय रहते प्रलेखित करने का प्रयास नहीं करते, वे अक्सर हमेशा के लिए लुप्त हो जाती हैं। उन्होंने आईआईटी में जेल की उन कोठरियों के बारे में बात की जहां स्वतंत्रता सेनानी श्री संतोष कुमार मित्रा और श्री तारकेश्वर सेन गुप्ता शहीद हुए थे।
उन्होंने पुणे में पैदा हुई एक अज्ञात प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री गोदावरी पारुलेकर (तब गोखले) के बारे में बात की। जिसने सत्याग्रहों में भाग लिया और इसके लिए उन्हें वर्ष 1932 में जेल भेजा गया। वह सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की पहली महिला सदस्य थीं।
उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वी पश्चिम खासी हिल्स जिले में नोंगखलाव (स्थानीय ग्राम प्रधान) के सरदार ‘मेघालय ब्रेवहार्ट’ और उनके साहसी अनुयायियों के कारनामों को संरक्षित करने के प्रयास कर रहे हैं। इन वीरों ने "क्रेम तिरोट" (तिरोत सिंह गुफाओं) से सशस्त्र रूप से कहीं बेहतर अंग्रेजों को लगभग पांच साल तक अपने क्षेत्र में घुसने नहीं दिया।
डिजिटल डिस्ट्रिक्ट रिपोजिटरी (डीडीआर) पर 5 मिनट का एक वीडियो भी दिखाया गया ताकि प्रशिक्षु अधिकारियों को इस परियोजना के बारे में जागरूक किया जा सके और वे इसमें योगदान करें।
सचिव (संस्कृति) ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा कार्यक्रम पर प्रकाश डाला, जिसमें घरों और कार्यस्थलों पर तिरंगा फहराया जाएगा। इस पहल के पीछे यह तर्क है कि हमें देश-प्रेम की भावना को बढ़ावा देना है। देश को तिरंगे की आन, बान और शान का जश्न मनाना है और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत@2047 की दिशा में सामूहिक रूप से काम करके राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है।
अंत में उन्होंने सभी से डिजिटल ज्योत के माध्यम से: https://digitaltribute.in/ पर राष्ट्र के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीरों को श्रद्धांजलि देने का अनुरोध किया।
सांस्कृतिक संध्या का समापन एनजेडसीसी द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ।
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