त्रियुगीनारायण : ऐतिहासिक बावन द्वादशी मेले का शुभारम्भ, पहले दिन रही हरियाली पर्व की धूम।
" त्रियुगीनारायण " तीन युगों से जलती आ रही धूनी का वह पौराणिक स्थान जहाँ मान्यता अनुसार भगवान शिव व माता पार्वती शादी के पवित्र बंधन में बंधे थे और जिस पवित्र बंधन के साक्षी स्वयं भगवान नारायण (बिष्णु) बने थे। केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग से मात्र 12 कीमी की दूरी पर यह पौराणिक स्थल त्रियुगीनारायण स्थित है जो तीन युगों से जलते आ रहे यज्ञ कुंड के लिए देश ही नहीं अपितु विश्व भर में प्रसिद्धि पाए हुवे है
त्रियुगीनारायण में प्रतिवर्ष सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार ऐतिहासिक बावन द्वादशी मेले का भब्य आयोजन किया जाता है जिसमे भगवान नारायण एवं क्षेत्रपाल भगवान की मूर्तियों को चाँदी की थाल में सजाकर मन्दिर के गर्भ गृह से बाहर लाकर मन्दिर परिसर की 21 परिक्रमाएं की जाती हैं। एवं मेले की पूर्व रात्रि को निःसंतान दंपत्ति ब्रत रखकर भगवान से पुत्र प्राप्ति हेतु कामना करते हैं
बावन द्वादशी मेले से 4 दिन पूर्व ऐतिहासिक हरियाली मेले का भब्य आयोजन किया जाता है जिसमे गांव का प्रत्येक परिवार अपने घर पर मेले से पूर्व जौ की हरियाली रिंगाल से बनी टोकरियों में बोते हैं और हरियाली मेले के दिन घर की महिलाएं ब्रत रखकर पारम्परिक वस्त्र (लवा ) पहनकर हरियाली को मन्दिर में ढोल नगाड़ों एवं मांगलिक गीतों के साथ सर्व प्रथम भगवान नारायण को चढ़ाते हैं और फिर गांव में एक दुसरे को प्रसादी के तौर पर भेंट करते हैं।
प्राचीन मान्यता के अनुसार इस दिन पर बामन भगवान के अवतार लेने से चार दिन पूर्व माता अदिति व देव कन्याओं को अपने विराट रूप के दर्शन दिए थे तब उन्होंने प्रसन्न होकर भगवान को दुर्वा अष्ठमी को हरियाली भेंट की थी, तब से ही हरियाली मेला मानाने की परंपरा शदियों से चली आ रही है।
त्रियुगीनारायण में हर साल ऐतिहासिक बावन द्वादशी मेले का भब्य आयोजन किया जाता है, पिछले वर्ष कोरोना महामारी के कारण इसे छोटे स्तर पर केवल ग्राम सभा तक ही सीमित किया गया था। लेकिन इस वर्ष मेला बड़े स्तर पर मनाया जाएगा जिसे 5 दिवसीय रखा गया है जिसमे प्रथम दिवस 3 सितंबर को हरियाली मेले से इस भब्य मेले का शुभारम्भ हो चुका है।
इस वर्ष कोरोना काल को छोड़कर पूर्व की भाँति मेले को विराट रूप देने हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमे उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोक कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा जनता के सम्मुख रखने का अवसर मिलेगा। मेले में क्षेत्र के साथ जिले की तमाम उन प्रतिभाओं को भी सम्मानित किया जायेगा जो अपने - अपने क्षेत्र में समाज की बेहतरी हेतु बेहतर कार्य कर रहे हैं।
मुख्य रूप से बावन द्वादशी मेला इस वर्ष 6 सितंबर की मध्य रात्रि से 7 सितंबर प्रातः काल तक चलेगा जिसमें निःसंतान दंपत्ति पुत्र प्राप्ति हेतु ब्रत रखेंगे एवं भगवान नारायण की पूजा अर्चना करेंगे। मेले का समापन को विधि विधान के साथ 7 सितंबर को किया जायेगा।
Jai sri tryuginarayen ji
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